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✨❤️ मेरा प्रेम ❤️✨

Rockzz

खराब किस्मत का बादशाह (King of bad luck)
Senior's
Chat Pro User
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)

पहली बार आपकी पोस्ट देखने मौका मिल रहा है। आप अपनी भावनाओं को कलम से उतरने में बहुत ही माहिर जान पड़ते है,
भले ही आपके द्वारा फरमाए गए प्रेम के कुछ अंशों से मै सहमत नहीं हो सकता हु, इस चीज के बावजूद आपके लिखने के कला का मै जितनी प्रश्नंश करूं उतना कम है।

आपने एक बात बिल्कुल सही बोली जिसे मैं भी जीवन में जीता हु, प्रेम को साक्ष्य की जरूरत नहीं जैसे सूर्य को आईना दिखाने की जरूरत नहीं । ❤️❤️❤️
 
पहली बार आपकी पोस्ट देखने मौका मिल रहा है। आप अपनी भावनाओं को कलम से उतरने में बहुत ही माहिर जान पड़ते है,
भले ही आपके द्वारा फरमाए गए प्रेम के कुछ अंशों से मै सहमत नहीं हो सकता हु, इस चीज के बावजूद आपके लिखने के कला का मै जितनी प्रश्नंश करूं उतना कम है।

आपने एक बात बिल्कुल सही बोली जिसे मैं भी जीवन में जीता हु, प्रेम को साक्ष्य की जरूरत नहीं जैसे सूर्य को आईना दिखाने की जरूरत नहीं । ❤️❤️❤️
सबसे पहले तो आपका हृदय से स्वागत है...

जैसा कि पहले ही कहा है कि सबके प्रेम के तरीके अलग हो सकते हैं।
तो आपकी असहमति का भी स्वागत है।

आप अपने विशेष असहमति को उजागर कर अपना पक्ष रख सकते हैं। शायद हमें ही कुछ सीखने को मिल जाए।

धन्यवाद आपका पूरी तरह से शब्दों को समझने के लिए।
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
waa bhai kya bat hai !:clapping::fingercross:
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
Bahut pyaara ❤️ :heart1:
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
तेरे लफ़्ज़ों में बसी है जो बात,
वो कहीं नहीं, बस दिल के पास है साथ।
प्रेम तेरा कोई दिखावा नहीं,
एक आराधना है, शांत और महीन।

ना ज़रूरत सबूतों की, ना किसी नाम की,
बस एहसास है, जैसे हवा की शाम की।
तू जो लिखता है, वो जिया हुआ लगता है,
हर हरफ़ में तेरा मन बसा रहता है।

मिलन ना सही, पर मौजूदगी है खास,
जैसे ईश्वर बिना देखे भी होता है पास।
तेरा प्रेम… एक गीत है, एक प्रार्थना,
जिसे सुनते ही भर आता है मन सारा।
 
तेरे लफ़्ज़ों में बसी है जो बात,
वो कहीं नहीं, बस दिल के पास है साथ।
प्रेम तेरा कोई दिखावा नहीं,
एक आराधना है, शांत और महीन।

ना ज़रूरत सबूतों की, ना किसी नाम की,
बस एहसास है, जैसे हवा की शाम की।
तू जो लिखता है, वो जिया हुआ लगता है,
हर हरफ़ में तेरा मन बसा रहता है।

मिलन ना सही, पर मौजूदगी है खास,
जैसे ईश्वर बिना देखे भी होता है पास।
तेरा प्रेम… एक गीत है, एक प्रार्थना,
जिसे सुनते ही भर आता है मन सारा।
kya bat bhai ! Waa waa :giggle::fingercross:
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
prem ehasaso se bhara ek bhav hain
najre milke dill khil ke to bahut logo pyar me padh jate he
par jis me bhav mile usime dill khile aisa kuch bhi to ho sakta he

na rang se na rup se na tan se na dhan se
man se man ko jud bhi to sakta hain

na paane ki tamannaye he na khone ka dar
aisa kuch bhi to ho sakta he prem me

dekh ke khilti chehere muskuraye hamesa jarori nai
bin dekhe uski khusiki ehasas se khil khilaye aisa bhi to ho sakta hain
sharm se sarmaye , bin dekhe najre bhi jhukaye ausa kuch ho sakta hain

bin chuye chhu jaaye ,
koso door ho ke bhi
itni karib aaye
khayalo me samaye
aisa kich bhi ho sakta he prem me



na ummide he na koi aasa he phir bhi usime marmitne ki ho abhilasa bhi to ho sakta hain

khuda ko bhi na kabhi dekha na jana
phir bhi usiko khuda mana

jamana chahe jo kahe
premko hamne bhi khuda mana he
aap se milke hi to hamne prem ko jana hain
 
prem ehasaso se bhara ek bhav hain
najre milke dill khil ke to bahut logo pyar me padh jate he
par jis me bhav mile usime dill khile aisa kuch bhi to ho sakta he

na rang se na rup se na tan se na dhan se
man se man ko jud bhi to sakta hain

na paane ki tamannaye he na khone ka dar
aisa kuch bhi to ho sakta he prem me

dekh ke khilti chehere muskuraye hamesa jarori nai
bin dekhe uski khusiki ehasas se khil khilaye aisa bhi to ho sakta hain
sharm se sarmaye , bin dekhe najre bhi jhukaye ausa kuch ho sakta hain

bin chuye chhu jaaye ,
koso door ho ke bhi
itni karib aaye
khayalo me samaye
aisa kich bhi ho sakta he prem me



na ummide he na koi aasa he phir bhi usime marmitne ki ho abhilasa bhi to ho sakta hain

khuda ko bhi na kabhi dekha na jana
phir bhi usiko khuda mana

jamana chahe jo kahe
premko hamne bhi khuda mana he
aap se milke hi to hamne prem ko jana hain
प्रेम कहानी
तेरी मेरी प्रेम कहानी:heart1:
 
मुझे पता है कई बार लोगो को,
खटकने लगती है,
मेरे द्वारा दी गई प्रेम की परिभाषाएं...

उन्हे लगता है कि,
मैं मात्र एहसासों को पिरोकर,
बातें लिख लेता हूं,
एहसासों को अल्फ़ाज़ देकर,
नए नए किस्से बुन लेता हूं...

तो सुनिए ....
ऐसा बिल्कुल नही है,
कुछ लिखने के लिए,
बस ख्याली पुलाव से काम नहीं चलता,
उन शब्दों को जीवन में उतारना भी पड़ता है,
उन्हे जीना भी पड़ता है,
तभी तो हम सही रूप से, सही ढंग से,
उन्हे कागज़ पर उकेर पाते हैं,
तभी तो झलकती हैं उन शब्दों से,
प्रेम की सार्थकता, प्रेम का स्वरूप,
मैंने जो महसूस किया,
मैं जिस तरह अपने प्रेम को जीता हूं,
बस वही लिखता हूं...!!!

दुनिया में प्रेम तो सभी करते हैं लगभग,
मगर अलग है सबके प्रेम करने का ढंग,
अलग है प्रेम को समझने का ढंग,
कुछ लोग दिखाते हैं कि मैं प्रेम में हूं,
मैने प्रेम किया,
मैं प्रेम में ऐसा कर सकता हूं वैसा कर सकता हूं,
मगर प्रेम ने कभी प्रमाण मांगा है?
कोई दिखावा चाहा है?
बिल्कुल नही....

प्रेम तो बस ठहर जाता है धड़कनों के बीच कहीं,
धीमा धीमा एहसासों का एक,
मीठा सा स्रोत,
खूबसूरत सा झरना,
जो बस महसूस करने मात्र से,
खिल जाता हैं दिल का हर एक कोना,
प्रेम की परिभाषा लिखना तो,
किसी के बस का कभी रहा ही नहीं,
मैं तो बस प्रेम में जिए अपने एहसासों को लिखता हूं...

ईश्वर की आराधना जैसा मेरा प्रेम,
दिखावा नहीं ,
बस आंखे बंद करके उसे स्मरण करना,
उसे महसूस करना, उसे पा लेना ❣️

हां थोड़ा मुश्किल हैं, उस प्रेम को जीना,
जो आपके निकट नहीं, जिससे मिलना संभव नहीं,
मगर उसका आपके जीवन में होना ही,
आपको जब जी भर कर संतुष्टि दे तो फिर,
कोई शिकायत कैसी.....☺️
मिलते तो ईश्वर भी नही ,
न साक्षात दर्शन होते हैं कभी,
मगर क्या उनके प्रति आस्था, प्रेम कभी कम होता है,
कभी लगता है कि वो धोखेबाज हैं नही न....
वो हैं ये हम दिल से महसूस करते हैं ,
हमारा रोम रोम इस बात की गवाही देता है कि,
ईश्वर हैं... ईश्वर हैं...
बस कुछ ऐसा ही है मेरा भी प्रेम...❣️

ख़ैर...

(आप भी तो कहें अपने प्रेम के बारे में)
Love is patient, love is kind. It does not envy, it does not boast, it is not proud. Love is the deliberate act of valuing someone more than you value yourself
 
Love is patient, love is kind. It does not envy, it does not boast, it is not proud. Love is the deliberate act of valuing someone more than you value yourself
Lovely...
 
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