सुनो ना...
सबने मनचाहा चुना
और मैंने प्रेम चुना...
इसलिए नहीं,
कि मुझे भी उससे प्रेम हुआ..
बल्कि इसलिए,
कि उसने मुझे चुना...
प्रेम हो जाना एक बात है
प्रेम कर लेना दूसरी...
पर प्रेम में चुन लिया जाना
निराली ही बात है...
"तुम"..
किसी को प्रेम करते हो तो तुम सो नहीं पाते,
तुम्हें कोई प्रेम करता है तो तुम उसे सोने नहीं देते...
सोचो…
किसी स्त्री के द्वारा तुम्हें चुना जाना...
तुम्हें उसका नायक बना देता है...
और तुम किसी के सर्वश्रेष्ठ पुरुष हो जाते हो...



सबने मनचाहा चुना
और मैंने प्रेम चुना...
इसलिए नहीं,
कि मुझे भी उससे प्रेम हुआ..
बल्कि इसलिए,
कि उसने मुझे चुना...
प्रेम हो जाना एक बात है
प्रेम कर लेना दूसरी...
पर प्रेम में चुन लिया जाना
निराली ही बात है...
"तुम"..
किसी को प्रेम करते हो तो तुम सो नहीं पाते,
तुम्हें कोई प्रेम करता है तो तुम उसे सोने नहीं देते...
सोचो…
किसी स्त्री के द्वारा तुम्हें चुना जाना...
तुम्हें उसका नायक बना देता है...
और तुम किसी के सर्वश्रेष्ठ पुरुष हो जाते हो...




साभार: अनजान