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*यात्रा बहुत छोटी है...!*

Rockzz✨❤️श्वेतराग❤️

Over and out
Senior's
Chat Pro User
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
 
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
बहुत खूब ,
सायद लड्ना स्वभाव हो मानवका, इस लिए सब कुछ पता हो के भी hamlog अपनी गुस्सा को अपनी बस में नहीं कर पाते इसलिए छोटी छोटि बाटो पे लडते हैं , कभी कभी तो ऐसा कुछ कहा देते हे की जो आखरी हो जाता हैं और ताउमर अफसोच में गुजर जाता हैं ,
इस लिए सोच के बोलो , सुनो ज्यादा पर बोलो एकदम कम
 
बहुत खूब ,
सायद लड्ना स्वभाव हो मानवका, इस लिए सब कुछ पता हो के भी hamlog अपनी गुस्सा को अपनी बस में नहीं कर पाते इसलिए छोटी छोटि बाटो पे लडते हैं , कभी कभी तो ऐसा कुछ कहा देते हे की जो आखरी हो जाता हैं और ताउमर अफसोच में गुजर जाता हैं ,
इस लिए सोच के बोलो , सुनो ज्यादा पर बोलो एकदम कम
सत्य वचन :nodding:
 
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
Hello and good evening bro. Love your post. So very well expressed. Cheers!!!!
 
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
अति सुंदर :hearteyes:
 
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
बहुत सही कहा ❤️ सच में जीवन छोटा है, इसलिए प्यार, माफ़ी और खुशी बाँटते रहना चाहिए।
 
एक स्त्री बस में चढ़ी और एक पुरुष के बगल में बैठते समय उसके बैग से उसे चोट लग गई... लेकिन वह पुरुष चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
जब वह व्यक्ति गुमसुम बैठा रहा, तो उस महिला ने पूछा – “मैंने आपको बैग से मारा, फिर आपने शिकायत क्यों नहीं की?”

उस पुरुष ने मुस्कुराकर उत्तर दिया:
“इतनी छोटी-सी बात पर नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हमारी साथ की
*यात्रा बहुत छोटी है*... मैं अगले स्टॉप पर ही उतर रहा हूँ...!”

इस उत्तर से महिला बहुत भावुक हुई। उसने उस पुरुष से माफी माँगी और मन ही मन सोचा कि
*“यात्रा बहुत छोटी है”* – ये शब्द सोने से लिखे जाने चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि इस संसार में हमारा समय इतना कम है कि बेकार की बहस, जलन, दूसरों को माफ़ न करना, असंतोष और नकारात्मक भावनाओं में उलझना वास्तव में समय और ऊर्जा की मूर्खतापूर्ण बर्बादी है।


  • किसी ने आपका दिल तोड़ा है? शांत रहिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने धोखा दिया, धमकाया, अपमान किया?
आराम कीजिए – तनाव मत लीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने बेवजह आपका अपमान किया?
शांत रहिए... नज़रअंदाज़ कीजिए...
*यात्रा बहुत छोटी है...!*

  • किसी ने अप्रिय टिप्पणी की?
माफ़ कर दीजिए, नज़रअंदाज़ कीजिए,
उन्हें अपनी दुआओं में रखिए और निःस्वार्थ प्रेम कीजिए...

*यात्रा बहुत छोटी है...!*

समस्याएँ तभी समस्या बनती हैं जब हम उन्हें मन में जगह देते हैं। याद रखिए, हमारा “साथ का सफ़र बहुत छोटा है”।

इस यात्रा की लंबाई किसी को नहीं पता...
कल किसने देखा है? यह सफ़र कब रुक जाएगा, कोई नहीं जानता।

तो, अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार का सम्मान करें... उनका आदर करें...
हम दयालु, प्रेमपूर्ण और क्षमाशील बनें।
कृतज्ञता और आनंद से भरा जीवन जिएँ।
क्योंकि सचमुच हमारा साथ का सफ़र बहुत छोटा है...!

अपनी मुस्कान सभी के साथ बाँटिए...
अपनी ज़िंदगी को सुंदर और आनंदमय बनाइए...
क्योंकि चाहे समूह कितना ही बड़ा क्यों न हो,
हमारी
*यात्रा बहुत छोटी है...!*
किसे कहाँ उतरना है, यह तो किसी को भी मालूम नहीं।



इसलिए

हमेशा प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहें, और जीवन का आनंद लें।
Saach hi to hai!!

Yaatra bhut chhoti hai, Jivaan ko khul kar hansi khushi jeena chaiye
 
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