वो नंगी आँखों से मुझे
उसका
बेयाबरू करना मुझे आज भी सताता है
मेरे दिल के दर्पण का
कोई हिस्सा
मुझे
उसके दिल सा नज़र आता है ,
कोई अरसो पुराना ख्याल याद आता है
जब उसकी बरसों बनाई तस्वीर को मैं मेरे जेहन में सोच के
खुद को बेआबरू पातीं हु
उसके होने से, ना होने से
ज्यादा फर्क नहीं दिखता जिंदगी में
पर उसकी बनाई तस्वीर मुझे आज भी सताती है ,
चार शब्दो में उसका मुझे
बयान करना
कहना,
एक प्यारी अनहोनी हो तुम
और फ़िर
मुस्कुराते हुए उसके दांत घिसना,
बोहोत कुछ बयान कर जाता है,
मेरे बारे में ,
वो कुछ शब्दों से आगे बढ ही नहीं पाया
पर मेरा उसकी नजर में
वैसे बेआबरू होना,
मुझे आज भी नहीं खलता,
वो बिना देखें सब कुछ देख चुका है ,
वो कहता था सबसे खास चीज है मेरे जिस्म में,
मेरी मुस्कान का एक अता भर,
अगर वो देख पाता उसकी आँखों से,
तो पहले मेरी मुस्कान को चूम लेता,
बरहाल,
वो लब्जो से ही केहर धा देता है,
कुछ लबज गुनगुना के,
दिल की मजबूत ढाल को , ढा देता है,
उसका मान न है,
जिस्म सिर्फ एक परिंदा है,
और हम उस कैद से तब ही रिहा होंगे,
जब,
उसकी रूह की आँखे कहना या सुनना बंद कर देगी,
वो यह कुछ कहने से पहले,
जरूर कहता ह ,
मिया मौसम भी तुम्हारा दीवाना लगता है,
देखो,
जब भी तुम्हारी पायल की आवाज सुनते है मेरे कान,
मेरी आँखे जो देख नहीं सकती , बरस उठती है,
नग्मे लिए मन में कुछ जोर से,
चिल्लाने लगते ह पेयरो के पाजेब/बेड़िया भी,
ओर
रास्ते बदल जाते हैं उदासी के,
कुछ पल के लिए, नारंगी मौसम में,
तुम आया करो तो यूं ही बहार लेकर आया करो,
मेरे लिए किसी बहार से कम नहीं तुम,
वो कहता है/था अगर वो उदासी का मंजर है तो,
मैं,
उस मंजर की सुहानी ख़ाबगाह,
कुछ पल का एहसास ही काफी है,
मुझे आस पास पाने का
और
वो खुद को दुनिया का सेठ बताने लगता ,
रयिसियत तो ऐसी,
मानो ,
नवाबजादे एक पर्दा नशी को बुर्के में देके बिना ही,
सब जानते हैं उसके बारे में,
ख़ेर वो सही फरमाता है ,
बिना रूप के नारी सिर्फ पर्दे में अच्छी लगती है ,
वो बिना देखे ही मुझे कई बार
बेआबरू कर चूका ह ऐसे!
उसका
बेयाबरू करना मुझे आज भी सताता है
मेरे दिल के दर्पण का
कोई हिस्सा
मुझे
उसके दिल सा नज़र आता है ,
कोई अरसो पुराना ख्याल याद आता है
जब उसकी बरसों बनाई तस्वीर को मैं मेरे जेहन में सोच के
खुद को बेआबरू पातीं हु
उसके होने से, ना होने से
ज्यादा फर्क नहीं दिखता जिंदगी में
पर उसकी बनाई तस्वीर मुझे आज भी सताती है ,
चार शब्दो में उसका मुझे
बयान करना
कहना,
एक प्यारी अनहोनी हो तुम
और फ़िर
मुस्कुराते हुए उसके दांत घिसना,
बोहोत कुछ बयान कर जाता है,
मेरे बारे में ,
वो कुछ शब्दों से आगे बढ ही नहीं पाया
पर मेरा उसकी नजर में
वैसे बेआबरू होना,
मुझे आज भी नहीं खलता,
वो बिना देखें सब कुछ देख चुका है ,
वो कहता था सबसे खास चीज है मेरे जिस्म में,
मेरी मुस्कान का एक अता भर,
अगर वो देख पाता उसकी आँखों से,
तो पहले मेरी मुस्कान को चूम लेता,
बरहाल,
वो लब्जो से ही केहर धा देता है,
कुछ लबज गुनगुना के,
दिल की मजबूत ढाल को , ढा देता है,
उसका मान न है,
जिस्म सिर्फ एक परिंदा है,
और हम उस कैद से तब ही रिहा होंगे,
जब,
उसकी रूह की आँखे कहना या सुनना बंद कर देगी,
वो यह कुछ कहने से पहले,
जरूर कहता ह ,
मिया मौसम भी तुम्हारा दीवाना लगता है,
देखो,
जब भी तुम्हारी पायल की आवाज सुनते है मेरे कान,
मेरी आँखे जो देख नहीं सकती , बरस उठती है,
नग्मे लिए मन में कुछ जोर से,
चिल्लाने लगते ह पेयरो के पाजेब/बेड़िया भी,
ओर
रास्ते बदल जाते हैं उदासी के,
कुछ पल के लिए, नारंगी मौसम में,
तुम आया करो तो यूं ही बहार लेकर आया करो,
मेरे लिए किसी बहार से कम नहीं तुम,
वो कहता है/था अगर वो उदासी का मंजर है तो,
मैं,
उस मंजर की सुहानी ख़ाबगाह,
कुछ पल का एहसास ही काफी है,
मुझे आस पास पाने का
और
वो खुद को दुनिया का सेठ बताने लगता ,
रयिसियत तो ऐसी,
मानो ,
नवाबजादे एक पर्दा नशी को बुर्के में देके बिना ही,
सब जानते हैं उसके बारे में,
ख़ेर वो सही फरमाता है ,
बिना रूप के नारी सिर्फ पर्दे में अच्छी लगती है ,
वो बिना देखे ही मुझे कई बार
बेआबरू कर चूका ह ऐसे!