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इश्क़ में उलझने पहले ही कम न थी

sameerkh1

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सादगी तो हमारी ज़रा देखिए ए'तिबार आप के वा'दे पर कर लिया
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया

इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया

ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
 
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए ए'तिबार आप के वा'दे पर कर लिया
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया

इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया

ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
Nice
 
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए ए'तिबार आप के वा'दे पर कर लिया
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया

इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया

ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
इरशाद ✨❤️
 
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए ए'तिबार आप के वा'दे पर कर लिया
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया

इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया

ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
Hello and good evening bro. Lovely.
 
Ishq mein gairat-e-jazbaat ne rone na diya
Yaar ko maine, mujhe yaar ne sone na diya.
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
रात भर ताले-ए-बे-दार ने सोने न दिया

ख़ाक पर संग-ए-दर-ए-यार ने सोने न दिया
धूप में साया-ए-दीवार ने सोने न दिया

एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब
पहलु-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने ना दिया

रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से
रंज-ओ-मेहनत के गिरफ़्तार ने सोने न दिया

तकिया तक पहलू में उस गुल ने न रक्खा 'आतिश'
ग़ैर को साथ कभी यार ने सोने न दिया
 
सादगी तो हमारी ज़रा देखिए ए'तिबार आप के वा'दे पर कर लिया
बात तो सिर्फ़ इक रात की थी मगर इंतिज़ार आप का उम्र-भर कर लिया

इश्क़ में उलझनें पहले ही कम न थीं और पैदा नया दर्द-ए-सर कर लिया
लोग डरते हैं क़ातिल की परछाईं से हम ने क़ातिल के दिल में भी घर कर लिया

ज़िक्र इक बेवफ़ा और सितमगर का था आप का ऐसी बातों से क्या वास्ता
आप तो बेवफ़ा और सितमगर नहीं आप ने किस लिए मुँह उधर कर लिया
Sadgi thi meri, vaade pe aitbaar kar liya,
Ek raat ka tha pyaar, umr bhar intezaar kar liya.

Zakhm the pehle se, ek aur sah kar liya,
Qaatil se log dare, humne dil uska ghar kar liya.

Aap bewafa na the, phir uss mod pe kyun nazar kar
liya?
 
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