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इंतजार

Harcore_Ankit

Epic Legend
Chat Pro User
उम्र भर का इंतजार ओर बस थोड़ा सा प्यार
काफी हैं मेरे लिए ।
फूलों की खुश्बू में तुम्हारी खुश्बू की मौजूदगी
काफी है मेरे लिए ।
पर
तुम्हारे पास होके तुमसे बिछड़ जाना ,
गवारा नहीं
वो राहों को बोल के मुझे पास बुला लो न ,
के नादान दिल थोड़ा सम्हल जाएगा ,
फिर वापिस हो जाना अपने शहर काफी है मेरे लिए ।

दो टुक देख लू तुम्हे जी भर बस इतना ठहर जाना,
चलते चलते कदम रुकने लगे जब, तब मुझे पुकार लगाना ,
एक उमर बाद भी वैसा ही मिलूंगा और फिर तुम सिर्फ मुझे अपनाना ,
काफी है मेरे लिए !

हौसलों को आबाद करके चलूंगा , तुम्हे हर घड़ी याद करके चलूंगा ,
तुम आना शहर से लौट के जब तब सिर्फ मेरे लिए मुस्कुराना,
काफी है मेरे लिए !

अपनी ख्वाइशों को तुम्हारा ही नाम दूंगा , तुम्हारे बिना बोले तुम्हे सारे जहां का प्यार दूंगा ,
तुम ये सुनके शर्मा के मेरे सीने में चुप जाना , और फिर से मुझमें ही खो जाना ,
काफी है मेरे लिए!

चाय के प्याले भी तुम्हारे लबों की राह देखते है , तुम्हारे छुअन का एहसास खोजते है , तुमसे दूर होके सबका हाल बेस्वाद सा है , चाय में चुस्की कम ज्यादा खटास सा है ,
मेरा न सही,
इस बार इनका ही सोच के लौट आना!

गांव का रस्ता - रस्ता , गांव की असली हरियाली की राह खोजता है ,
भले मुझसे न मिलना लेकिन राहों में आके सबको अपना बना के हो सके तो इस बार यही रुक जाना ,
इतना ही काफी है - मेरे लिए।
 
उम्र भर का इंतजार ओर बस थोड़ा सा प्यार
काफी हैं मेरे लिए ।
फूलों की खुश्बू में तुम्हारी खुश्बू की मौजूदगी
काफी है मेरे लिए ।
पर
तुम्हारे पास होके तुमसे बिछड़ जाना ,
गवारा नहीं
वो राहों को बोल के मुझे पास बुला लो न ,
के नादान दिल थोड़ा सम्हल जाएगा ,
फिर वापिस हो जाना अपने शहर काफी है मेरे लिए ।

दो टुक देख लू तुम्हे जी भर बस इतना ठहर जाना,
चलते चलते कदम रुकने लगे जब, तब मुझे पुकार लगाना ,
एक उमर बाद भी वैसा ही मिलूंगा और फिर तुम सिर्फ मुझे अपनाना ,
काफी है मेरे लिए !

हौसलों को आबाद करके चलूंगा , तुम्हे हर घड़ी याद करके चलूंगा ,
तुम आना शहर से लौट के जब तब सिर्फ मेरे लिए मुस्कुराना,
काफी है मेरे लिए !

अपनी ख्वाइशों को तुम्हारा ही नाम दूंगा , तुम्हारे बिना बोले तुम्हे सारे जहां का प्यार दूंगा ,
तुम ये सुनके शर्मा के मेरे सीने में चुप जाना , और फिर से मुझमें ही खो जाना ,
काफी है मेरे लिए!

चाय के प्याले भी तुम्हारे लबों की राह देखते है , तुम्हारे छुअन का एहसास खोजते है , तुमसे दूर होके सबका हाल बेस्वाद सा है , चाय में चुस्की कम ज्यादा खटास सा है ,
मेरा न सही,
इस बार इनका ही सोच के लौट आना!

गांव का रस्ता - रस्ता , गांव की असली हरियाली की राह खोजता है ,
भले मुझसे न मिलना लेकिन राहों में आके सबको अपना बना के हो सके तो इस बार यही रुक जाना ,
इतना ही काफी है - मेरे लिए।
Itna Hindi likhdya k kch smjh nh Aya :blah: translator hota kaash yahaan
 
उम्र भर का इंतजार ओर बस थोड़ा सा प्यार
काफी हैं मेरे लिए ।
फूलों की खुश्बू में तुम्हारी खुश्बू की मौजूदगी
काफी है मेरे लिए ।
पर
तुम्हारे पास होके तुमसे बिछड़ जाना ,
गवारा नहीं
वो राहों को बोल के मुझे पास बुला लो न ,
के नादान दिल थोड़ा सम्हल जाएगा ,
फिर वापिस हो जाना अपने शहर काफी है मेरे लिए ।

दो टुक देख लू तुम्हे जी भर बस इतना ठहर जाना,
चलते चलते कदम रुकने लगे जब, तब मुझे पुकार लगाना ,
एक उमर बाद भी वैसा ही मिलूंगा और फिर तुम सिर्फ मुझे अपनाना ,
काफी है मेरे लिए !

हौसलों को आबाद करके चलूंगा , तुम्हे हर घड़ी याद करके चलूंगा ,
तुम आना शहर से लौट के जब तब सिर्फ मेरे लिए मुस्कुराना,
काफी है मेरे लिए !

अपनी ख्वाइशों को तुम्हारा ही नाम दूंगा , तुम्हारे बिना बोले तुम्हे सारे जहां का प्यार दूंगा ,
तुम ये सुनके शर्मा के मेरे सीने में चुप जाना , और फिर से मुझमें ही खो जाना ,
काफी है मेरे लिए!

चाय के प्याले भी तुम्हारे लबों की राह देखते है , तुम्हारे छुअन का एहसास खोजते है , तुमसे दूर होके सबका हाल बेस्वाद सा है , चाय में चुस्की कम ज्यादा खटास सा है ,
मेरा न सही,
इस बार इनका ही सोच के लौट आना!

गांव का रस्ता - रस्ता , गांव की असली हरियाली की राह खोजता है ,
भले मुझसे न मिलना लेकिन राहों में आके सबको अपना बना के हो सके तो इस बार यही रुक जाना ,
इतना ही काफी है - मेरे लिए।

बहुत खूब
लो विन जाने हम भी likhdi उनकी तरफ से


कुछ बन्दिसे हे कुछ वादे हैं
आप से मिलने से पहले वो सब याद आते हैं

कभी न सोचना होके बेवफा छोर चली
विरह में न आप से कम मैं भी हु जली
राहे तो आज भी मैं ताकती हु
लौट के न आयेगा वो पल फिर भी
यादोकी दरिए पे खुद को झाकति हु

हाल क्या बताऊ और क्या सुनाउ
कभी हवाओं के सिस्कारियो को सुनना
करके याद कितनी बार वर्षे हैं
उन बारिसो से पुछना

जब से तेरे गली से लौट के आई हु
ये राते हम से खफा खफासा हैं

ऐसा लगता हैं ये जिन्दगी जिन्दगी नहीं
कोई सजासा हैं

यह कैसी कसमकसमें हैं
इन हालातो से लड्न न मेरे बस में हैं
न तेरे दर पे आ सकती न बुला सकती हूँ
जो हम दोनों ने बिताए थे न वो पल भूला सकती हु
...............
 
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