बीती बातें बिसार दो,
मसले सब सुधार दो,
कोई दिखे जब उदास,
उसे थोड़ा प्यार दो!
न सहानुभूति दो उसे,
न नसीहतें हजार दो,
रख दो अपने भाव
हथेलियों पर उसके
उसे थोड़ा प्यार दो!
न ऊंच-नीच मानो तुम,
न जात-पात न भेदभाव,
इंसानियत को ही धर्म अपना
तुम स्वीकार लो,
कोई दिखे जब उदास
उसे थोड़ा प्यार दो!
नफरतों...