प्रेम के हैं दो रंग जुदा,
एक मिलन और एक विरह,
एक नाम समर्पण का,
एक नाम त्याग का...
एक बिन बोले आँखों की बात समझना,
एक दूर रह के दुआओं में याद करना,
एक सुबह से शाम का इंतज़ार,
तो
एक अगले जन्म में मिलने की फ़रियाद करना,...
एक कमियों को नज़रंदाज करना,
एक किसी कमी के कोई, मायने ना होना,
एक रुक्मणी बन जीवन भर साथ रहना,
एक राधा बन हृदय की धड़कन बनना...
प्रेम के ही रंग दो,
कैसे कहें कौन सा रंग गहरा,
किस से समर्पण या त्याग,
दोनों की तुलना कैसी?
समर्पण में अहम् ना आए, तो वो श्रेष्ठ...
एक मिलन और एक विरह,
एक नाम समर्पण का,
एक नाम त्याग का...
एक बिन बोले आँखों की बात समझना,
एक दूर रह के दुआओं में याद करना,
एक सुबह से शाम का इंतज़ार,
तो
एक अगले जन्म में मिलने की फ़रियाद करना,...
एक कमियों को नज़रंदाज करना,
एक किसी कमी के कोई, मायने ना होना,
एक रुक्मणी बन जीवन भर साथ रहना,
एक राधा बन हृदय की धड़कन बनना...
प्रेम के ही रंग दो,
कैसे कहें कौन सा रंग गहरा,
किस से समर्पण या त्याग,
दोनों की तुलना कैसी?
समर्पण में अहम् ना आए, तो वो श्रेष्ठ...