हमदोनों ने एक दूसरे को प्रेम किया है...
शुरुआत तुमने की
मुझे बगैर जाने पहचाने प्रेम करने की...
और फिर मैंने जानबूझ कर देरी से
तुमसे प्रेम किया
कि मैंने आहिस्ते-आहिस्ते सीखा है
तुम्हें पसंद करना, तुमसे प्रेम करना...
फिर कुछ महीने पश्चात
मनगढ़न्त बातों ने तुम्हें घेर लिया...
फिर प्रेम, तुम्हारे मन की उपलब्धता और
सहूलियत के अनुसार हो गया...
परंतु मेरी प्राथमिकताओं में तुम्हारा स्थान हमेशा प्रथम ही रहा...
तुम इतनी गहराई तक मेरे अंतर्मन में बसे हो,
मुझे तुमसे विश्वास से परे तक प्रेम है...
विवाद से इतर प्रेम है...!!
तुमने अपने प्रेम में मुझे एक रेशमी_धागे से
जंजीर से भी मजबूत बांध लिया है...
मेरे स्वप्न मेरी तमन्नाएं मेरी खुशियाँ सब
तुम्हारे इर्द_गिर्द टहलतीं रहती हैं...
मेरे प्रेम की छाँव में आकाश नापती रहती थी
बेफिक्र, निश्चिंत होकर तुम...
परंतु वक्त के साथ तुम्हारे प्रेम का रंग बदलता रहा
कभी गहरा कभी हल्का होता रहा है...
परंतु मैं तुम्हारे प्रेम में यूँ रंगा
कि फिर कोई दूजा रंग मुझपर चढ़ न पाया...
सब अपने प्रेमी/प्रेमिका से कहते हैं "तुम मेरे हो"
लेकिन मैं कहता हूं- "मैं मरणोपरांत ही नहीं,
जन्मों जनम तक मैं तुम्हारा ही रहूंगा"...

शुरुआत तुमने की
मुझे बगैर जाने पहचाने प्रेम करने की...
और फिर मैंने जानबूझ कर देरी से
तुमसे प्रेम किया
कि मैंने आहिस्ते-आहिस्ते सीखा है
तुम्हें पसंद करना, तुमसे प्रेम करना...
फिर कुछ महीने पश्चात
मनगढ़न्त बातों ने तुम्हें घेर लिया...
फिर प्रेम, तुम्हारे मन की उपलब्धता और
सहूलियत के अनुसार हो गया...
परंतु मेरी प्राथमिकताओं में तुम्हारा स्थान हमेशा प्रथम ही रहा...
तुम इतनी गहराई तक मेरे अंतर्मन में बसे हो,
मुझे तुमसे विश्वास से परे तक प्रेम है...
विवाद से इतर प्रेम है...!!
तुमने अपने प्रेम में मुझे एक रेशमी_धागे से
जंजीर से भी मजबूत बांध लिया है...
मेरे स्वप्न मेरी तमन्नाएं मेरी खुशियाँ सब
तुम्हारे इर्द_गिर्द टहलतीं रहती हैं...
मेरे प्रेम की छाँव में आकाश नापती रहती थी
बेफिक्र, निश्चिंत होकर तुम...
परंतु वक्त के साथ तुम्हारे प्रेम का रंग बदलता रहा
कभी गहरा कभी हल्का होता रहा है...
परंतु मैं तुम्हारे प्रेम में यूँ रंगा
कि फिर कोई दूजा रंग मुझपर चढ़ न पाया...
सब अपने प्रेमी/प्रेमिका से कहते हैं "तुम मेरे हो"
लेकिन मैं कहता हूं- "मैं मरणोपरांत ही नहीं,
जन्मों जनम तक मैं तुम्हारा ही रहूंगा"...
