और फिर कलम तोड़ दी मैने,
एक ग़ज़ल अधूरी छोड़ दी मैने ।
मंजिल आंखों के सामने थी,
पर अपनी कस्ती मोड़ दी मैने ।
उसने कहा था ये मुमकिन नहीं,
मैं तुम्हारे हाथो की लकीरों में नहीं,
तुम अच्छे हो और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो,
और फिर अपनी सारी अच्छाइयां छोड़ दी मैने ।
एक करके आला बुराइयां खुदमे जोड़ ली मैने ।
फिर खुद को इतना बेज़ार किया,
मैने अपना बहुत नुकसान किया।
देह का तो क्या ही बयां करूं,
मैने दिल को भी बहुत दर्द दिया।
फिर एक दिन खुद से ही ये सवाल किया
जीने की ख्वाहिश किस खुशी में छोड़ दी तूने ।
वो बनना संवारना, वो हंसना हंसाना, वो लड़ना झगड़ना,
वो रूठना मनाना, वो दोस्तों में किस्से कहानी सुनाना,
आधा सच बताना कुछ अपना मिलाना, वो यारों के बीच हसी
ठहाके लगाना, वो सब पर अपनी खुशियां लुटाना, वो मां
को सताना, उसे अपने पीछे घुमाना, सारे दिन का हाल उसे
खुलकर बताना, ये सारी हरकतें एक झटके में छोड़ दि मैने,
अपनी जिन्दगी में एक गहरी खामोशी जोड़ ली मैने ।
हां... कलम तोड़ दी मैंने ।
एक ग़ज़ल अधूरी छोड़ दी मैने ।
मंजिल आंखों के सामने थी,
पर अपनी कस्ती मोड़ दी मैने ।
उसने कहा था ये मुमकिन नहीं,
मैं तुम्हारे हाथो की लकीरों में नहीं,
तुम अच्छे हो और मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो,
और फिर अपनी सारी अच्छाइयां छोड़ दी मैने ।
एक करके आला बुराइयां खुदमे जोड़ ली मैने ।
फिर खुद को इतना बेज़ार किया,
मैने अपना बहुत नुकसान किया।
देह का तो क्या ही बयां करूं,
मैने दिल को भी बहुत दर्द दिया।
फिर एक दिन खुद से ही ये सवाल किया
जीने की ख्वाहिश किस खुशी में छोड़ दी तूने ।
वो बनना संवारना, वो हंसना हंसाना, वो लड़ना झगड़ना,
वो रूठना मनाना, वो दोस्तों में किस्से कहानी सुनाना,
आधा सच बताना कुछ अपना मिलाना, वो यारों के बीच हसी
ठहाके लगाना, वो सब पर अपनी खुशियां लुटाना, वो मां
को सताना, उसे अपने पीछे घुमाना, सारे दिन का हाल उसे
खुलकर बताना, ये सारी हरकतें एक झटके में छोड़ दि मैने,
अपनी जिन्दगी में एक गहरी खामोशी जोड़ ली मैने ।
हां... कलम तोड़ दी मैंने ।
