मै भी कभी जवान था,
"बिल्कुल आपकी तरह",
मुझ पर भी लगते थे कभी,
फुल, पत्ते और फल,
जैसे अभी होगी आपके मन में,
लहरें, आकांक्षाएं और तरंग,
"बिल्कुल एक इंसान की तरह",
मेरे पास भी आते थे,
तितलियां, इंसान और कीट पतंग,
"बिल्कुल आपकी तरह",
जब कभी मन भर जाए,
इन मौसमी फूलों, पत्तों और फलों से,
जब कभी मन भर जाए,
इन मौसमी तितलियों, कीट पतंग और इंसानों से,
तब समय निकलकर बनाना घोंसला,
मेरी इन सुखी टहनियों में,
"बिल्कुल एक स्वच्छंद पंछी की तरह",
तब मै अपने अनुभवों को बताऊंगा,
"बिल्कुल एक सच्चे कवि की तरह",
ना जाने कब मुझे काट दिया जाए,
या गिर जाऊ खुद ही किसी तूफान में,
"बिल्कुल एक योद्धा की तरह",
तब तक के लिए खड़ा हु,
अडिग, अचल और अविरल,
"एक सूखे पेड़ की तरह",
मै भी कभी जवान था,
बिल्कुल आपकी तरह..
मुझमें भी थी लहरें...
..........................
"एक इंसान की तरह"।
"बिल्कुल आपकी तरह",
मुझ पर भी लगते थे कभी,
फुल, पत्ते और फल,
जैसे अभी होगी आपके मन में,
लहरें, आकांक्षाएं और तरंग,
"बिल्कुल एक इंसान की तरह",
मेरे पास भी आते थे,
तितलियां, इंसान और कीट पतंग,
"बिल्कुल आपकी तरह",
जब कभी मन भर जाए,
इन मौसमी फूलों, पत्तों और फलों से,
जब कभी मन भर जाए,
इन मौसमी तितलियों, कीट पतंग और इंसानों से,
तब समय निकलकर बनाना घोंसला,
मेरी इन सुखी टहनियों में,
"बिल्कुल एक स्वच्छंद पंछी की तरह",
तब मै अपने अनुभवों को बताऊंगा,
"बिल्कुल एक सच्चे कवि की तरह",
ना जाने कब मुझे काट दिया जाए,
या गिर जाऊ खुद ही किसी तूफान में,
"बिल्कुल एक योद्धा की तरह",
तब तक के लिए खड़ा हु,
अडिग, अचल और अविरल,
"एक सूखे पेड़ की तरह",
मै भी कभी जवान था,
बिल्कुल आपकी तरह..
मुझमें भी थी लहरें...
..........................
"एक इंसान की तरह"।