छह बरस पहले, उस मोड़ पे,
मिली थी मुझे, इक चाँद सी वो।
निगाहों में उसकी, बस जादू ही था,
दिल मेरा जैसे बाँध लिया उसने।
हँसी उसकी जैसे सुबह का उजाला,
शब्द उसके, जैसे कोई गीत पुराना।
धड़कनें मेरी, उसके नाम से बंधी,
जैसे बादलों में छिपी बिजली।
दो बरस पहले, वो छूट गई,
कहानी हमारी, कहीं टूट गई।
वो क्यों चली गई, मैं पूछता रहा,
दिल में उसके क्या था, ये सोचता रहा।
अब भी उसकी यादें, छूती हैं मुझे,
हर साँझ में, हर रात में, हर ख्वाब में।
वो गलियाँ, वो बातें, वो पल जिंदा हैं,
जिनमें उसकी महक, आज भी रुकी है।
क्या कहूँ उसे? कि लौट आ कभी,
दिल ये तेरा है, तेरा ही रहेगा अभी।
पर शायद मोहब्बत, अब राह भूल गई,
उसकी दुनिया में मेरी जगह नहीं रही।
फिर भी वो लड़की, मेरा चाँद है,
हर अंधेरे में, जो साथ खड़ा है।
छह बरस पहले की वो मुलाक़ात,
आज भी मेरी जिंदगी का सुरूर है।
मिली थी मुझे, इक चाँद सी वो।
निगाहों में उसकी, बस जादू ही था,
दिल मेरा जैसे बाँध लिया उसने।
हँसी उसकी जैसे सुबह का उजाला,
शब्द उसके, जैसे कोई गीत पुराना।
धड़कनें मेरी, उसके नाम से बंधी,
जैसे बादलों में छिपी बिजली।
दो बरस पहले, वो छूट गई,
कहानी हमारी, कहीं टूट गई।
वो क्यों चली गई, मैं पूछता रहा,
दिल में उसके क्या था, ये सोचता रहा।
अब भी उसकी यादें, छूती हैं मुझे,
हर साँझ में, हर रात में, हर ख्वाब में।
वो गलियाँ, वो बातें, वो पल जिंदा हैं,
जिनमें उसकी महक, आज भी रुकी है।
क्या कहूँ उसे? कि लौट आ कभी,
दिल ये तेरा है, तेरा ही रहेगा अभी।
पर शायद मोहब्बत, अब राह भूल गई,
उसकी दुनिया में मेरी जगह नहीं रही।
फिर भी वो लड़की, मेरा चाँद है,
हर अंधेरे में, जो साथ खड़ा है।
छह बरस पहले की वो मुलाक़ात,
आज भी मेरी जिंदगी का सुरूर है।