सड़क के उस छोर पे जब देखा उसे,
जैसे सूरज ने छुआ हो किसी नदी को।
खामोशी से उसकी नज़रें मिलीं,
और दिल मेरा पिघल गया उसी मोड़ पर।
वो हवा में बिखरा हुआ जादू थी,
वो लम्हा जैसे रुक सा गया।
उसकी हँसी, जैसे खनकती बूँदें,
जो रूह तक उतरती चली गईं।
मैंने दिल में बसा लिया उसे,
जैसे चाँद को बाँध ले कोई समंदर।
और वो मेरी हर बात में,
हर ख्वाब में, हर धड़कन में बस गई।
लेकिन एक दिन वो चली गई,
जैसे कोई साया छूट जाता है।
बातें अधूरी, ख्वाब अधूरे,
और दिल एक अजनबी रास्ता बन गया।
आज भी उसकी खुशबू हवा में है,
उसकी यादें मेरी रगों में हैं।
वो गई है, मगर कहाँ गई?
शायद वो अब भी यहीं कहीं है।
जैसे सूरज ने छुआ हो किसी नदी को।
खामोशी से उसकी नज़रें मिलीं,
और दिल मेरा पिघल गया उसी मोड़ पर।
वो हवा में बिखरा हुआ जादू थी,
वो लम्हा जैसे रुक सा गया।
उसकी हँसी, जैसे खनकती बूँदें,
जो रूह तक उतरती चली गईं।
मैंने दिल में बसा लिया उसे,
जैसे चाँद को बाँध ले कोई समंदर।
और वो मेरी हर बात में,
हर ख्वाब में, हर धड़कन में बस गई।
लेकिन एक दिन वो चली गई,
जैसे कोई साया छूट जाता है।
बातें अधूरी, ख्वाब अधूरे,
और दिल एक अजनबी रास्ता बन गया।
आज भी उसकी खुशबू हवा में है,
उसकी यादें मेरी रगों में हैं।
वो गई है, मगर कहाँ गई?
शायद वो अब भी यहीं कहीं है।
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