खुला आसमां छोड़ो मुझे क़फ़स हो जहां ले चलो,
रखने दो ज़ख्म सारे फिर तुम्हारी मर्ज़ी जहां ले चलो।
सफर तो बस अब दर्द-ए-दीवानगी मे बीत रहा है,
मंज़िल को छोड़ो तुम हो मयखाना जहां ले चलो।
तब्दीली सी दिखने लगी है अब मिज़ाज मे तुम्हारे,
सबर का सबूत तेरी नज़रों का दरिया है जहां ले चलो।
मुकद्दर से लड़ने कि सी नौबत ही ना आएगी,
जो रज़ा है ये खुदा की तो खुदा है जहां ले चलो।
कौन है जो बदल रहा मेरी खैरियत का हाल ये,
हंसी नहीं अच्छी छुपा है दर्द मेरा जहां ले चलो।
( क़फ़स - Cage
दर्द-ए-दीवानगी - Love for pain
मयखाना - Bar
मिज़ाज - Mood
मुकद्दर - destiny
रज़ा - wish
खैरियत - well being)
रखने दो ज़ख्म सारे फिर तुम्हारी मर्ज़ी जहां ले चलो।
सफर तो बस अब दर्द-ए-दीवानगी मे बीत रहा है,
मंज़िल को छोड़ो तुम हो मयखाना जहां ले चलो।
तब्दीली सी दिखने लगी है अब मिज़ाज मे तुम्हारे,
सबर का सबूत तेरी नज़रों का दरिया है जहां ले चलो।
मुकद्दर से लड़ने कि सी नौबत ही ना आएगी,
जो रज़ा है ये खुदा की तो खुदा है जहां ले चलो।
कौन है जो बदल रहा मेरी खैरियत का हाल ये,
हंसी नहीं अच्छी छुपा है दर्द मेरा जहां ले चलो।
( क़फ़स - Cage
दर्द-ए-दीवानगी - Love for pain
मयखाना - Bar
मिज़ाज - Mood
मुकद्दर - destiny
रज़ा - wish
खैरियत - well being)