प्रेमिकाएँ नहीं मिलना चाहतीं हैं
अपने महबूब से
तुम्हारी बनाई इस रिवाज़ी दुनिया में,
वो मिल लेती हैं,
रात को सोयी आँखों के जागते ख़्वाबों वाली दुनिया में,
जहाँ नियम-क़ायदों की दुकान नहीं होती
बस महबूब होता है,
मुहब्बत होती है
आँखें होती हैं
और चूम कर उनसे सपने चुनते एक जोड़ी होंठ!
अपने महबूब से
तुम्हारी बनाई इस रिवाज़ी दुनिया में,
वो मिल लेती हैं,
रात को सोयी आँखों के जागते ख़्वाबों वाली दुनिया में,
जहाँ नियम-क़ायदों की दुकान नहीं होती
बस महबूब होता है,
मुहब्बत होती है
आँखें होती हैं
और चूम कर उनसे सपने चुनते एक जोड़ी होंठ!