अरे ओ पगलू !
किसके इश्क़ की भांग खा के आया तू,
किसके इश्क़ का नशा चढ़ा के आया तू,
जिंदा भी है या बस देह उठा लाया तू....
कैसे बताऊँ क्या बन कर लौट आया हूँ
खुद को ही नही पहचान पा रहा हूँ
और होश में आने की बात कर रहा है तू...
प्यारे इश्क़ की डोर है बड़ी सिल्की
मेरे यार इश्क़ की डोर है बड़ी सिल्की
जिसने कर लिया इज़हार बस "हीर" उसकी...
नही चाहिए ऐसी मोहब्बत
जो प्यार ही नही करती...
प्यार करना होता तो कब का मुमताज ढूंढ लेते,
पर आजकल कि लड़कियां इतना ऐतबार कहा करती...
अभी मखमली है तुम्हारा इश्क़ प्यारे,
गौर से देखो मै-खाने में यूँही नहीं सजा करती रोज अदाकारें,
ये इश्क़ नही आसान बस इतना समझ लीजिए
आप का भी कटेगा एक दिन जान लीजिए...
नंबर तो कब से लगा कर बैठें हैं,
एक नज़र देखने को बस तरस जाते हैं,
वो निर्दयी फ़ोन ही नहीं उठाती,
अगर उठा भी लेती है तो गैर बना देती है...
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम तो ले लो
न छोड़ूँगा मैं, जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो...
ऐसे धोखेबाज बहुत देखे हैं,
इश्क़ तो कर लेते हैं,
इकरार के वक़्त, नज़रे यूँ फेर लेते हैं...
ख़ास इतना ही रखो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि जान निकल जाए..
आपका वादा ही जनाब झूठा निकला
आपके सिक्के में ही खोट निकला...
इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
वो नहीं तो कोई तो तुझको दूसरी मिल जाएगी ..
नही चाहिए कोई और खिलौना,
एक ने ही सीखा दिया,
जिंदगी मे इस कदर रोना...
ये इश्क़ है ही इतना अजीब प्यारे,
दिल को सुकून भी देता तो बेचैनियां भी,
न जी सकते हैं इसके बिना,
न चैन से मर सकते हैं इसके बिना ||