नज़रंदाज़ करती हो मुझे
दरवाज़े के पीछे टंगे calendar सा,
किसी हिसाब की खातिर ही सही
पर देख तो लो एक बार
कि कैसे गुज़रा हूँ तारीखों सा
बेफ़िजूल तेरे इश्क में.....!!
दरवाज़े के पीछे टंगे calendar सा,
किसी हिसाब की खातिर ही सही
पर देख तो लो एक बार
कि कैसे गुज़रा हूँ तारीखों सा
बेफ़िजूल तेरे इश्क में.....!!