
यह रात किसी और रात से अलग थी। चाँद आसमान में नीचा लटका हुआ था, उसकी चांदी जैसी रोशनी उदयपुर शहर को एक अलौकिक आभा में नहला रही थी। सड़कों पर सन्नाटा था, और ठंडी रात की हवा में चमेली की खुशबू घुल रही थी, जो पास के एक उत्सव से आती संगीत की ध्वनियों से मिल रही थी।
शांत रात के बीच, आर्यन खुद को पिचोला झील के किनारे अकेला चलते हुए पाया, पानी की हलकी लहरें चाँद की नरम रोशनी को प्रतिबिंबित कर रही थीं। महीनों हो गए थे जब उसने शहर की हलचल को पीछे छोड़ दिया था। वह उदयपुर आया था — एक रिश्ते के अंत के बाद शांति खोजने के लिए जिसने उसकी दुनिया को तोड़ दिया था।
जब वह झील के किनारे पर घूम रहा था, उसकी नजरें दूर एक आकृति पर पड़ीं। एक महिला वहां खड़ी थी, अकेली, पानी की ओर देख रही थी, जैसे वह किसी दूर के याद में खोई हुई हो। उसकी काली बाल हलकी हवा में लहरा रही थीं और उसकी सफेद पोशाक चाँदनी में चमक रही थी। उसमें कुछ ऐसा था जो उसे परिचित सा महसूस हुआ, जैसे उनकी राहें पहले कभी मिल चुकी हों।
बिना कुछ सोचे, आर्यन उसके पास गया, उसके कदम कंकड़ पर हलके से पड़े। जैसे ही वह पास पहुँचा, महिला मुड़ी, और उनकी नजरें मिलीं — एक पल जो समय को ठहरा सा देने जैसा था।
"क्या तुम खो गई हो?" आर्यन ने पूछा, उसकी आवाज़ नरम थी, लेकिन उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
महिला मुस्कराई, हालांकि उसकी आँखों में थोड़ी उदासी थी। "मुझे नहीं लगता," उसने कहा। "मैं बस... यहाँ हूँ। कभी-कभी, आप खुद को उन जगहों पर पाते हैं, जहाँ आप least expect करते हैं।"
आर्यन को उसके प्रति एक अनकहा खिंचाव महसूस हुआ, जैसे एक अदृश्य धागा उसे खींचता हो। उसे नहीं पता था क्यों, लेकिन उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने उसे सालों से जाना हो।
"मैं आर्यन हूँ," उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा, उसके चेहरे पर एक गर्म मुस्कान फैली। "और आप?"
महिला कुछ क्षण के लिए रुकी, जैसे यह तय कर रही हो कि कितना बताना चाहिए। "आर्टी," उसने धीरे से कहा, उसका हाथ पकड़ते हुए।
जारी रहेगा...