वो पहली मुलाक़ात कुछ खास नहीं थी,
ना गुलाब थे, ना बारिश, ना कोई फिल्मी सीन...
बस दो आंखें थी, जो एक-दूसरे से कुछ कह रही थीं।
धीरे-धीरे बातों का सिलसिला चला,
रातें छोटी लगने लगीं,
और ख़ामोशियाँ अब सुकून देने लगीं।
वो हँसती थी, तो दिल ठहर सा जाता था,
और जब उदास होती थी, तो मौसम भी रूठ जाता था।
हमने कभी कसमें नहीं खाईं,
ना वादे किए , बस साथ निभाया।
ना कोई डर था, ना कोई शर्त...
बस एक यकीन था , कि जो दिल से जुड़ा है, वो दूर नहीं हो सकता।
ये मोहब्बत किताबों वाली नहीं थी,
ये वो थी , जो दुआओं में पलती है,
जो सुकून में सांस लेती है,
और जो वक़्त से ऊपर होती है।

#एक_सच्ची_दास्तान #मोहब्बत #जज़्बात
ना गुलाब थे, ना बारिश, ना कोई फिल्मी सीन...
बस दो आंखें थी, जो एक-दूसरे से कुछ कह रही थीं।
धीरे-धीरे बातों का सिलसिला चला,
रातें छोटी लगने लगीं,
और ख़ामोशियाँ अब सुकून देने लगीं।
वो हँसती थी, तो दिल ठहर सा जाता था,
और जब उदास होती थी, तो मौसम भी रूठ जाता था।
हमने कभी कसमें नहीं खाईं,
ना वादे किए , बस साथ निभाया।
ना कोई डर था, ना कोई शर्त...
बस एक यकीन था , कि जो दिल से जुड़ा है, वो दूर नहीं हो सकता।
ये मोहब्बत किताबों वाली नहीं थी,
ये वो थी , जो दुआओं में पलती है,
जो सुकून में सांस लेती है,
और जो वक़्त से ऊपर होती है।

#एक_सच्ची_दास्तान #मोहब्बत #जज़्बात