जी हां जनाब हम कुत्ते है,
हम में अभी भी पशुता बाकी है।
ठुकरा दिया जाता है हमें ,
उस दरवाजे, उस आंगन से,
जहां पेट भरने के लिए हम,
अपना दुम हिला देते है।
पत्थरों से मारते है लोग हमें,
जहां हम सभी संगठित हो जाते है।
हमें कौन पालेगा,
हम पर भला करुणा कोई क्यों दिखाए,
हम तो मुफ्त में मिल जाते है,
आवारा पशुओं की तरह,
पाला और प्यार तो उन्हें दिखाया जाता है,
जिसके लिए लोगों को भारी—भरकम
कीमत चुकानी पड़ती है,
हम आपके साथ सेल्फी लेने,
के लायक नहीं है मोहतरमा,
सेल्फी तो उनके साथ लिया जाता है,
जो सुंदर हो और कीमती हो।
हम तो सुंदर भी नहीं है,
घरों में तो उन्हें सजाया जाता,
उन पर दया दिखाई जाती है,
जो सुंदर और कीमती हो,
सेल्फी भी उन्हीं के साथ खिंचाई जाती है,
जो कीमती हो और सुंदर हो।
हमें देखकर खूब हस्ते है सभ्य लोग,
देखो कैसे 6—7 कुत्ते एक कुत्तियां
के लिए तरस रहे है,
वो भी एक असभ्य जानवर की तरह।
हां हम कुत्ते है जनाब,
लड़ते है झगड़ते है,
सिर्फ एक कुत्तियां लिए,
दिनदहाड़े संभोग कर रहे है,
अपना नंबर का इंतेज़ार करते है,
एक जाहिल पशु की तरह।
जी हां जनाब हम कुत्ते है,
हम में पशुता अभी बाकी है।
हमें प्रकृति ने भाषा तो नहीं दी,
लेकिन हमारे पास भी दो चौकन्ने कान है जनाब।
सुनते है लोग पशुता छोड़ गए है,
सभ्य हो गए है, विकसित हो गए है,
यह सुनकर जलन होती है मानवों से,
कि ये तो किसी एक कुत्तियां के पीछे,
ना ही लड़ते है, न झगड़ते है।
ना ही लार टपकाते है और ना ही दुम हिलाते है,
सबसे ज्यादा जलन तो तब होती है मोहतरमा,
जब हम सुनते है कि ये तो इतने सभ्य हो गए,
की अपना नंबर भी नहीं लगाते है।
खैर छोड़िए जनाब,
हम तो कुत्ते है,
सिर्फ भौंकना जाने है,
हम तो असभ्य है,
हम में तो पशुता अभी भी शेष है।
अभी भी जब हम भौंक रहे है,
तो कुत्ता बोलकर या तो भगा दिया जाएगा,
या तो पत्थरों से मार दिया जाएगा।
जी जनाब हम कुत्ते है,
हम में अभी भी पशुता शेष है।
लेकिन एक पशु होते हुए भी,
आप मनुष्यों को एक दुआ देते है जनाब,
आप भी कभी हमे पशुता से बाहर निकाल सके,
हमें भी इस असभ्यता, जाहिलपन से बाहर निकाल सके।
जी हां जनाब हम कुत्ते है,
हम तो असभ्य और आवारा है।
हां मोहतरमा हम कुत्ते है,
हम तो सिर्फ भौंकना जानते ही।।।।
हम में अभी भी पशुता बाकी है।
ठुकरा दिया जाता है हमें ,
उस दरवाजे, उस आंगन से,
जहां पेट भरने के लिए हम,
अपना दुम हिला देते है।
पत्थरों से मारते है लोग हमें,
जहां हम सभी संगठित हो जाते है।
हमें कौन पालेगा,
हम पर भला करुणा कोई क्यों दिखाए,
हम तो मुफ्त में मिल जाते है,
आवारा पशुओं की तरह,
पाला और प्यार तो उन्हें दिखाया जाता है,
जिसके लिए लोगों को भारी—भरकम
कीमत चुकानी पड़ती है,
हम आपके साथ सेल्फी लेने,
के लायक नहीं है मोहतरमा,
सेल्फी तो उनके साथ लिया जाता है,
जो सुंदर हो और कीमती हो।
हम तो सुंदर भी नहीं है,
घरों में तो उन्हें सजाया जाता,
उन पर दया दिखाई जाती है,
जो सुंदर और कीमती हो,
सेल्फी भी उन्हीं के साथ खिंचाई जाती है,
जो कीमती हो और सुंदर हो।
हमें देखकर खूब हस्ते है सभ्य लोग,
देखो कैसे 6—7 कुत्ते एक कुत्तियां
के लिए तरस रहे है,
वो भी एक असभ्य जानवर की तरह।
हां हम कुत्ते है जनाब,
लड़ते है झगड़ते है,
सिर्फ एक कुत्तियां लिए,
दिनदहाड़े संभोग कर रहे है,
अपना नंबर का इंतेज़ार करते है,
एक जाहिल पशु की तरह।
जी हां जनाब हम कुत्ते है,
हम में पशुता अभी बाकी है।
हमें प्रकृति ने भाषा तो नहीं दी,
लेकिन हमारे पास भी दो चौकन्ने कान है जनाब।
सुनते है लोग पशुता छोड़ गए है,
सभ्य हो गए है, विकसित हो गए है,
यह सुनकर जलन होती है मानवों से,
कि ये तो किसी एक कुत्तियां के पीछे,
ना ही लड़ते है, न झगड़ते है।
ना ही लार टपकाते है और ना ही दुम हिलाते है,
सबसे ज्यादा जलन तो तब होती है मोहतरमा,
जब हम सुनते है कि ये तो इतने सभ्य हो गए,
की अपना नंबर भी नहीं लगाते है।
खैर छोड़िए जनाब,
हम तो कुत्ते है,
सिर्फ भौंकना जाने है,
हम तो असभ्य है,
हम में तो पशुता अभी भी शेष है।
अभी भी जब हम भौंक रहे है,
तो कुत्ता बोलकर या तो भगा दिया जाएगा,
या तो पत्थरों से मार दिया जाएगा।
जी जनाब हम कुत्ते है,
हम में अभी भी पशुता शेष है।
लेकिन एक पशु होते हुए भी,
आप मनुष्यों को एक दुआ देते है जनाब,
आप भी कभी हमे पशुता से बाहर निकाल सके,
हमें भी इस असभ्यता, जाहिलपन से बाहर निकाल सके।
जी हां जनाब हम कुत्ते है,
हम तो असभ्य और आवारा है।
हां मोहतरमा हम कुत्ते है,
हम तो सिर्फ भौंकना जानते ही।।।।