मेरी झूठी मुस्कुराहटों की दीवारें
मज़बूत हो गई हैं वक़्त के साथ,
फर्क इतना पड़ चुका है मुझ पर
कि अब फर्क नहीं पड़ता.
तुम बहा लो दर्द अपना
मुझ पर इलज़ाम लगा,
चाहो तो बटोर लो
मेरे हिस्से की दुआएं भी,
ढूँढ लो मुझसा कोई
जैसा तुम चाहते थे,
कि अब मुझे भी यकीन हो चला
जो मैं हूँ वो काफी नहीं.
मेरी बुरी आदतों की सज़ायें
मेरा वजूद हो गई हैं वक़्त के साथ,
फर्क इतना पड़ चुका है मुझ पर
कि अब फर्क नहीं पड़ता,
तुम्हारा भी नहीं.....!
मज़बूत हो गई हैं वक़्त के साथ,
फर्क इतना पड़ चुका है मुझ पर
कि अब फर्क नहीं पड़ता.
तुम बहा लो दर्द अपना
मुझ पर इलज़ाम लगा,
चाहो तो बटोर लो
मेरे हिस्से की दुआएं भी,
ढूँढ लो मुझसा कोई
जैसा तुम चाहते थे,
कि अब मुझे भी यकीन हो चला
जो मैं हूँ वो काफी नहीं.
मेरी बुरी आदतों की सज़ायें
मेरा वजूद हो गई हैं वक़्त के साथ,
फर्क इतना पड़ चुका है मुझ पर
कि अब फर्क नहीं पड़ता,
तुम्हारा भी नहीं.....!