तेरी बातों में जो मिठास थी,
वो ज़हर बनकर छलक गई।
जो क़समों की लौ जलती थी,
वो बेवफ़ाई में बुझ गई।
तेरे वादों की छाँव में,
मैं सुकून की तलाश करता रहा।
पर तू तो किसी और की बन गई,
और मैं अंधेरों से लड़ता रहा।
तेरी आँखों की मासूमियत,
अब झूठ का पर्दा लगती है।
जो इश्क़ कभी इबादत था,
अब सिर्फ़ एक सज़ा...