ऊँचे-ऊँचे पर्वत जब चूमते है अंबर को
प्यासा-प्यासा अंबर जब चूमता है सागर को
प्यार से कसने को, बाहों में बसने को
दिल मेरा ललचाए, कोई तो आ जाए
ऐसा कोई साथी हो, ऐसा कोई प्रेमी हो
प्यास दिल की बुझा जाए.....
प्यासा-प्यासा अंबर जब चूमता है सागर को
प्यार से कसने को, बाहों में बसने को
दिल मेरा ललचाए, कोई तो आ जाए
ऐसा कोई साथी हो, ऐसा कोई प्रेमी हो
प्यास दिल की बुझा जाए.....