दिल चाहता हैँ
तेरे सारे अरमान को अपना बनालू
तुझको ही अपना सपना बनालू
दिल चाहता हैँ
तेरे कदम से कदम मिलालू
जब धुडू तुमको तो
तुम्ही मे खुद को पालू
कभी ना हो जुदा ऐसे
तुम्हे गले लगालू
दिल चाहता हैँ
कभी ना उतरे ऐसा तस्बीर आखो मे बसालू
तेरा तकदीर को अपना नसिब बनालू
उस हाथों की लकीर को इस हाथों
मे सजालु

दिल चाहता हैँ
सांसे तू ले तो जिलु मैं
तेरे हर गम को पीलू मैं
कही हो ना जाउ गुमसुदा
उससे पहले,,,, तेरे बाहो मे
आके खुद से ही मिलु मैं
दिल चाहता हैँ
ऐसी मुला काते हो
खामोश लफ्ज हो पर
आँखो से बाते हो
नजर ही नजरो से
थोड़ा सारारते हो
दिल चाहता हैँ
.......................
सब मै ही लिखू क्या

तेरे सारे अरमान को अपना बनालू
तुझको ही अपना सपना बनालू
दिल चाहता हैँ
तेरे कदम से कदम मिलालू
जब धुडू तुमको तो
तुम्ही मे खुद को पालू
कभी ना हो जुदा ऐसे
तुम्हे गले लगालू
दिल चाहता हैँ
कभी ना उतरे ऐसा तस्बीर आखो मे बसालू
तेरा तकदीर को अपना नसिब बनालू
उस हाथों की लकीर को इस हाथों
मे सजालु

दिल चाहता हैँ
सांसे तू ले तो जिलु मैं
तेरे हर गम को पीलू मैं
कही हो ना जाउ गुमसुदा
उससे पहले,,,, तेरे बाहो मे
आके खुद से ही मिलु मैं
दिल चाहता हैँ
ऐसी मुला काते हो
खामोश लफ्ज हो पर
आँखो से बाते हो
नजर ही नजरो से
थोड़ा सारारते हो
दिल चाहता हैँ
.......................
सब मै ही लिखू क्या
