Waahवो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।
Maine nahi likhi hai ..kisi ki copied haiWaah
Fir v achi haiMaine nahi likhi hai ..kisi ki copied hai
bhaut Acha !वो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।
True.वो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।
Waaahवो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।
Wahhh kya baat haiवो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।
हकीकत तो यही है...वो लम्हा जब तुम्हारी आँखें नींद की भीख मांगती है,
मगर तुम फंसे रहते हो अपने ही मन और दिल के बीच
चल रही एक खामोश जंग में,
ख्वाहिशें खींचती है,
हकीकत रोकती है,
करवट लेते लेते एक
और रात बीत जाती है।