मन सपनों का परिंदा है,
हर सीमा से परे है।
आसमान छूने की चाह लिए,
हर मुश्किल से लड़े है।
हवा संग बहना सीख गया,
तूफ़ानों से टकराना जान गया।
गिरकर भी जो उठ खड़ा हो,
वही सच्चा इंसान कहलाया।
ज़िंदगी है एक अनमोल सफ़र,
हर पल इसे संवारना है।
ख़ुद पे यक़ीन हो जब पूरा,
तो हर मंज़िल को पाना है।
हर सीमा से परे है।
आसमान छूने की चाह लिए,
हर मुश्किल से लड़े है।
हवा संग बहना सीख गया,
तूफ़ानों से टकराना जान गया।
गिरकर भी जो उठ खड़ा हो,
वही सच्चा इंसान कहलाया।
ज़िंदगी है एक अनमोल सफ़र,
हर पल इसे संवारना है।
ख़ुद पे यक़ीन हो जब पूरा,
तो हर मंज़िल को पाना है।